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लेखनी कहानी -07-Jun-2023 अस्पताल का कमरा

जैसे और कमरे होते हैं वैसे ही अस्पताल का कमरा भी होता होगा ? पर यदि बात इतनी सी ही होती तो फिर यह शीर्षक नहीं होता । फिर शीर्षक होता "कमरा" । इसका मतलब है कि अस्पताल का कमरा कुछ खास होता है । अन्य कमरों से अलग होता है वह । 

शायद , यह सही बात है कि अस्पताल का कमरा कुछ खास होता है । खास इसलिए कि इस कमरे में मरीजों की आहें , उनके परिजनों की कराहें और सिसकियां भरी पड़ी हैं । इस कमरे की दीवारें पता नहीं कितनी बार उनके आंसू देखकर फट पड़ी होंगी ? न जाने कितनी निर्बल बांहों को इस कमरे के खंभों ने सहारा दिया होगा ? छत को ताकते ताकते लोगों की निगाहें निराशा के गर्त में गिर गई होंगीं तब इस कमरे की छत ने थोड़ा सा चूना गिराकर उन्हें आश्वस्त किया होगा कि घबरा मत, आज अंधेरा है मगर कल उजाला भी होगा । इस आशा और विश्वास ने न जाने कितने मरीजों को ठीक कर दिया होगा ? 

इस कमरे की खिड़की से रोज उम्मीदों का एक झौंका जरूर आता होगा नहीं तो लोग यहां घुट घुटकर ही दम तोड़ देते । इस कमरे के दरवाजे से न जाने कितनी लाशें गुजरी होंगीं तभी तो यह दरवाजा मेडिकल स्टॉफ की तरह संवेदनहीन और निष्ठुर हो गया है और अड़ियल टट्टू की तरह एक जगह पर अड़ा हुआ है । बिना पैसे चुकाये लाश भी बाहर नहीं जाने देते हैं लोग । पैसा जेब में है नहीं और लाश ले जा सकते नहीं । ऐसे मजबूर परिजनों को देख देखकर यह कमरा भी कितना सिसका होगा ना ? 

इस कमरे में कभी डॉक्टर्स, नर्स और दूसरे स्टॉफ की "प्रेमलीलाऐं" भी हुई होंगीं ? वो पल कितने सुहावने रहे होंगे ? ये कमरा तो ऐसे ही दृश्य देखना चाहता होगा पर सदैव ऐसा थोड़ी ना होता है ? कभी कभी तो मानवता भी शर्मसार हुई होगी जब इसी कमरे में किसी महिला या बालिका के साथ दुष्कर्म हुआ होगा ? तब इस कमरे की दीवारों ने कितना क्रंदन किया होगा ? अस्पताल प्रशासन द्वारा ऐसी घटनाओं को छुपाने पर यह कमरा कितना रोया होगा और अपने न बोल पाने की विकलांगता पर कितना पश्चाताप किया होगा इसने ? 

ये वही कमरा है जहां मरीजों के परिजनों में प्रेम, सहयोग और भाईचारा पनपा है । न जाने कितनी प्रेम कहानियां बनी होंगी और न जाने कितने रिश्ते बने होंगे इसी कमरे में । आपस में एक दूसरे की मदद करते हुए कितना अच्छा लगता है ना ? ऐसे दृश्य देखकर यह कमरा कितना खुश होता होगा ? 

इस कमरे के कोने बड़े दुखी होंगे क्योंकि हर कोई बेचारे कोनों पर "पिच्च" से एक धार छोड़कर वहां अपनी निशानी जरूर छोड़ जाता है । इन पिचकारी नुमा धब्बों से इन कोनों का चेहरा ऐसा बिगड़ा होगा जैसे एक दुल्हन का चेहरा उसकी ससुराल की पहली होली पर बिगड़ता है , वैसा बिगड़ा होगा । कड़वी दवाइयों की गंध सूंघ सूंघकर ये दीवारें भी "कसैली" हो गई होंगीं तभी तो इनका दिल पत्थर का सा हो गया है । 

जिस कमरे में ओपीडी है उस कमरे का अलग ही रोना है । नित नये मरीज , नित नये परिजन और नित नये प्रपंच देख देखकर वह कमरा बोर हो गया होगा ? अब तो कुछ "अच्छे" से "दृश्य" दिखें तब तो उसे मजा आये वरना वह सारी उम्र इसी तरह गमगीन रहेगा । 

वार्ड का अपना अलग ही अंदाज है । वह जब भरा भरा रहता है तो उस कमरे को भी दुख होता होगा और जब खाली हो जाता होगा तो यह कमरा कितना खुश होता होगा ? लोग जब ठीक होकर अपने अपने घरों को जाते हैं तब इसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं होता होगा ना  ? लोग जब इसी कमरे में गंदगी करते होंगे तब इसे कितना गुस्सा आता होगा ? पर किस पर गुस्सा उतारे वो ? लोग भी पूरे ढीठ हैं, किसी की मानते ही नहीं । कितना ही रोक लो, कितना ही टोक लो, लोग तो अपनी मनमर्जी का ही करते हैं ना । अस्पताल का बेचारा कमरा , यह सब देख देखकर वह शर्म से डूब मरना चाहता होगा ना ? 

मरीज तड़प रहा है और नर्सिंग स्टॉफ ताश खेल रहा है । ऐसा दृश्य तो हर रोज ही देखने को मिलता होगा ना ? कभी कभी तो ऑपरेशन के नाम पर मरीज के शरीर से किडनी वगैरह निकाल ली गई होगी तब इस कमरे की आत्मा कितनी चीखी होगी ? पर कौन सुनता है इसकी आत्मा की आवाज ? जिन्होंने अपनी आत्मा बेच खाई हो उनसे आत्मा की आवाज सुनने की अपेक्षा करना कुछ कुछ वैसा ही है जैसा राक्षसों से यज्ञ करवाने की अपेक्षा करना । 

अस्पताल के कमरों के सीने में न जाने कितने राज भरे पड़े हैं ? कभी दो पैग लगाते वक्त कमरे को भी दो पैग चढाने का अवसर देना तो पिनक में कमरा सारे राज खोलकर देगा । न जाने कितने कत्ल , कितनी आत्महत्याओं का गवाह है यह कमरा ? इसी कमरे में न जाने कितनी औरतें विधवा हो गई हैं और न जाने कितने बच्चे अनाथ हो गये हैं । न जाने कितने लोगों के कितने ही अंग इसी कमरे में बेकार हो गये हैं । इनका कोई हिसाब नहीं है । 

पर एक बात अवश्य है कि अस्पताल के कमरे में आशाओं का दीपक सदैव जलता रहता है । उम्मीद की किरण सदैव आती है और जिजीविषा की बयार सदैव बहती रहती है । इन्ही सबके कारण यह कमरा भी जिंदा रह पाता है अन्यथा यह कमरा तो कभी का मर गया होता । 

श्री हरि 
7.6.23 


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4 Comments

Gunjan Kamal

24-Jun-2023 11:58 PM

👏👌

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वानी

24-Jun-2023 07:20 AM

Nice

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Alka jain

22-Jun-2023 01:33 PM

Nice 👍🏼

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Hari Shanker Goyal "Hari"

22-Jun-2023 02:57 PM

🙏🙏🙏

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